बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-2 हिन्दी - हिन्दी का राष्ट्रीय काव्य - सरल प्रश्नोत्तर
कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' की राष्ट्र चेतना
प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी की राष्ट्रीय चेतना / भावना पर प्रकाश डालिए।
अथवा
'बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' की वाणी में राष्ट्र प्रेम का स्वर मुखर हुआ है।" इस कथन की पुष्टि कीजिए।
उत्तर -
प्रस्तावना - आधुनिक हिन्दी कविता में द्विवेदी युगीन इतिवृत्तात्मकता, आदर्शवादिता, स्थूलता की परिणति छायावादी आत्मनिष्ठता, ऐन्द्रियता और सूक्ष्मता में हुई। इसी कालखण्ड में दो धाराएँ समानान्तर रूप से विकसित हुई, जिन्हें राष्ट्रीय सांस्कृतिक काव्यधारा और प्रणयवादी धारा के नाम से जाना जाता है। बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' की मूल चेतना और व्यक्तित्व छायावादी आत्मनिष्ठता के अनुकूल नहीं था, अतः उनकी वाणी में राष्ट्र प्रेम का स्वर मुखर रूप में व्यक्त हुआ, जो कि मैथिलीशरण गुप्त, सियाराम शरण गुप्त, सोहनलाल द्विवेदी, माखनलाल चतुर्वेदी, सुभद्रा कुमारी चौहान से लेकर दिनकर की परम्परा में प्रकट होता है। 'नवीन' की रचनाओं का मूल्यांकन इसी दृष्टि से पूर्णता को प्राप्त करता है।
राष्ट्र प्रेम मूल स्वर - बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' की प्रमुख काव्य रचनाओं में 'उर्मिला' (1834 ई0) स्वच्छन्दतावादी गीति प्रधान काव्य है, जो आचार्य द्विवेदी की प्रेरणा का प्रतिफल है। 'कुमकुम' (1835 ई0) का मूल स्वर 'राष्ट्र प्रेम' है, जहाँ कवि का रक्त उबलता हुआ ओजस्वी स्वर में प्रकट होता है। 'रश्मिरेखा' (1851 ई0) में प्रणयविरह की अनुभूतियाँ हैं तो 'अपलक' और 'क्वासि' में भक्तिभावना का मूल स्वर है। कविताओं में विविधताओं के होते हुए भी 'नवीन' की पहचान राष्ट्रीयता के कवि के रूप में हैं, उसका कारण यह है कि उन्होंने समय को पहचान कर जनमानस की मौन वाणी को मुखर रूप में व्यक्त किया। उनके व्यक्तित्व की विशिष्टता ही है कि जो राष्ट्र प्रेम के संस्कार उन्हें मिले, वैसा ही उनके जीवन का संघर्ष, वैसा ही कार्य क्षेत्र, वैसा ही जीवन और वैसी ही कविता भी। विप्लव गान, हम अनिकेतन, प्राप्तव्य, असिधारापथ शीर्षक युक्त कविताएँ स्वाधीनता आन्दोलन की ऊर्जा को घनीभूत करने में सफल रहीं।
राष्ट्र के प्रति एकनिष्ठ प्रेम - 'नवीन' जी की कविताओं में स्वदेश धर्म का निर्वाह, कारागार के शून्य जीवन में भी सार्थकता, मातृभूमि के प्रति अपार लगाव, कवि की अन्तर्चेतना तक जागरण की ध्वनि पहुँचाने की क्षमता और राष्ट्र के प्रति एकनिष्ठ प्रेम से उन्हें कालजयी बनाने का अवसर प्राप्त होता है। 'नवीन' जी के बारे में राष्ट्रकवि 'दिनकर' लिखते हैं- “जब उस नरशार्दूल के बोलने की बारी आती तो बादलों में दरारें पड़ जातीं, छतें चरमराने लगती और सत्य का प्रकाश खुलकर अपने स्वाभाविक रूप में सामने आ जाता।" राष्ट्रीयता से ओतप्रोत निडर वाणी से उनका कवि व्यक्तित्व अमर हो गया। उन्होंने अपने समय को पहचाना, तदनुरूप रचनाकर्म का निर्वाह किया, जो तत्कालीन युगीन परिवेश को सार्थकता प्रदान करने वाला था, यही प्रखरता, चिरकाल तक स्मरणीय है।
राष्ट्रीय भावनायुक्त काव्य - राष्ट्र धर्म की रक्षा तत्कालीन समय की माँग थी। अंग्रेजों के समक्ष निडरता से हृदय की अभिव्यक्ति को प्रकट करना साहस भरा कार्य था। 'नवीन' जी ने राष्ट्रीय भावों को काव्य का विषय बनाकर भारतीय जनता की स्वातन्त्र्य चेतना को विकसित किया। विदेशी दासता के विरुद्ध शंखनाद करती उक्त पंक्तियाँ अवलोकनीय हैं-
कोटि कोटि कंठों से निकली, आज यही स्वरधारा है।
भारतवर्ष हमारा है यह, हिन्दुस्तान हमारा है।
मातृभूमि के प्रति समर्पण भाव - मातृभूमि को प्रणम्य बनाने का संकल्प और उसके लिए प्राणों का अर्पण की भावाभिव्यंजना पराधीन राष्ट्र के लिए चेतना की संवाहक होती है। 'नवीन' जी स्वाधीनता आन्दोलन के मात्र व्याख्याता नहीं, बल्कि सेनानी हैं। दासता की श्रृंखलाओं के विरुद्ध संघर्ष करते हुए कई बार जेलयात्रा ने उनके व्यक्तित्व को निखार दिया। किसी कवि के जीवन में इतनी जेलयात्राओं का दुर्लभ संयोग दिखाई नहीं देता। जेल को ही अपना घर मानते हुए उन्होंने लिखा-
हम संक्राति काल के प्राणी बदा नहीं सुख भोग।
घर उजाड़ कर जेल बसाने का हमको है रोग ॥
अंग्रेजी अत्याचारों से निडरतापूर्वक सामना करना, प्रतिकार करना और यहाँ तक कि उन्हें क्षणिक आतंक की संज्ञा दे देना 'नवीन' जी के ओजस्वी व्यक्तित्व का ही परिणाम था। भारतीय दर्शन की अनश्वरता विषयक विचारों को सामने रखकर अंग्रेजों को ललकारा और कहा कि तुम्हारा क्षणिक आतंक भी भय की भीत्ति पर टिका है, तुम कितने ही शक्तिवान् हो, पर अनश्वर नहीं। वे अंग्रेजों को स्पष्ट शब्दों में कहते हैं-
क्या बिगाड़ेगा तुम्हारा यह क्षणिक आतंक?
क्या समझते हो कि होंगे नष्ट तुम अकलंक?
यह निपट आतंक भी है भीति ओतप्रोत।
और तुम? तुम हो चिरंतन अभयता के स्रोत।
स्वतन्त्रता आन्दोलनों में सहभागिता - कवि 'नवीन' जी ने गाँधी जी के प्रत्येक आन्दोलन में सक्रियता से भाग लिया। असहयोग आन्दोलन नमक सत्याग्रह फिर भारत छोड़ो आन्दोलन में संघर्षमयी जीवन यात्रा रही। यह भी विलक्षण संयोग है कि उनकी श्रेष्ठतम रचनाएँ जेलों में ही रची गईं। कारागार के शून्य कक्ष में कवि की आत्मोत्सर्ग करने की भावना उद्वेलनकारी है। जीवन के मादक क्षणों को उन्होंने राष्ट्र प्रेम पर न्योछावर कर दिया था, फलत: स्वयं को जन्म से ही 'विषपायी' कहकर अपने आपको प्रेरित किया-
सरद जुन्हाई अब कहाँ, कहाँ बसंत उछाह।
जीवन में अब बीच रह्यौ चिर निदाघ कौ दाह।
हम विषपायी जनम के सहँ अबोल - कुबोल।
मानत नैंकु न अनख हम, जानत अपनो मोल।
मानवता के प्रति जागरूक — मानव जीवन सर्वोपरि है। मनुष्य अपने कर्मों से महान बनता है। उसके पुरुषार्थ के समक्ष स्वर्ग का वैभव तुच्छ है। कवि का दृष्टिकोण है कि मनुष्य अपार क्षमतावान है, स्वर्ग की लालसा उसका उद्देय नहीं हो सकता। उसकी सामर्थ्य उससे अधिक है। उसे तो इस धरती को ही स्वर्ग बनाने का स्वप्न देखना चाहिए। मनुष्य यदि चाहे तो धरती को ही मोक्षस्थल बना सकता है, जो देवताओं के लिए भी दुर्लभ है। मनुष्य की क्षमता को रेखांकित करती उक्त पंक्तियाँ अवलोकनीय हैं-
और स्वर्ग तो भोगलोक है
तदुपरान्त बस रोगशोक है
हमें भूमि को योगलोक का
नव अपवर्ग बनाना है।
जो कि देव दुर्लभ है, उसको इस धरती पर लाना है।
सैनिकों के हितैषी - सैनिक राष्ट्र के प्रहरी होते हैं। उनके देश की सीमाएँ व हम सुरक्षित रहते हैं। देश के नागरिकों के मन में उनके प्रति श्रद्धाभाव सदैव विद्यमान रहना चाहिए। कवि ने सैनिकों को भी अपनी क्षमताओं से अवगत कराते हुए कहा कि यदि उसकी रंगों में बहता शोणित ठण्डा हो गया, तो पराजय निश्चित है। कवि अपने सैनिकों की आँखों में निराशा भाव नहीं देख सकता। वह प्रबोधन देते हुए कहता है-
रंगों में तेरी शोणित है या ठण्डा पानी। लुंज बुढ़ौती या कि जवानी।
यदि तेरी नस नस में बहती, वेगवती शोणित की धारा।
राख हुआ है नहीं अभी यदि, तेरे यौवन का अंगारा।
तो क्यों झाँक रही है तेरे, नयनों से यह निपट निराशा ॥
स्वाधीनता के पुजारी - बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' का जीवन मातृभूमि की स्वाधीनता में लगा था, वहीं उनका कविकर्म इसमें लक्ष्य तक पहुँचने का मार्ग बना रहा था। वे केवल स्वयं ही नहीं, बल्कि अन्य रचनाकारों को भी सन्देश दे रहे थे कि युगीन सत्य की उपेक्षा न करें। वर्तमान समय संघर्ष का है तो कवि की वाणी में भी उथल-पुथल भरी भावाभिव्यक्ति आवश्यक है, क्योंकि उसकी वाणी से ही जनता जाग्रत होगी और स्वाधीनता की हिलोरें उठने लगेगी। कवि मन को सम्बोधित करते हुए वे कहते हैं-
कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ, जिससे उथल-पुथल मच जाए।
शांति दंड टूटे उस महारुद्र का सिंहासन थर्राए।
उसकी श्वासोच्छवास दाहिका, विश्व के प्रांगण में घहराए।
नाश ! नाश! हा महानाश! की प्रलयंकारी आँख खुल जाए।
बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' की सक्रियता स्वाधीनता प्राप्ति के बाद भी यथावत रही। वे पत्रकारिता से जुड़े हुए थे, ऐसी परिस्थितियों में उनके ओजस्वी शब्दावली युक्त लेख भी लोगों को प्रेरित करते थे। “शिमला समझौते में निराशा का अवतरण', 'मुसलमान भाइयों की खिदमत में', 'तुम्हारे उपवास की चिन्ता', 'एक ही थैली के चट्टे-बट्टे' आदि शीर्षकों से अनेक लेख 'प्रताप', 'प्रभा' आदि पत्रों के माध्यम से प्रकाशित होकर जनता को जाग्रत कर रहे थे। गणेशशंकर विद्यार्थी की ओजस्वी शैली का उन पर बड़ा प्रभाव पड़ा था। सम्पादन का दायित्व निर्वहन करते हुए 'प्रभा' का झण्डा अंक द्वारा राष्ट्रीय जागरण करते हुए पत्रकारिता को भी राष्ट्रीयता के रंग में रंग दिया। 'नवीन' जी का सन्देश स्पष्ट था-
भारतखंड के तुम, हे जन गण।
चमक रहे हैं तब शोणित में, इस भारत माता के रज-कण।
राष्ट्रीय-सांस्कृतिक बोध - 'नवीन' जी की इतिहास में भी राष्ट्रीय सांस्कृतिक बोध भरा हुआ है। वे मानते थे कि समाज जिस भौतिकवादी उन्माद में आगे बढ़ रहा है, उसका विनाश निश्चित है। यदि मनुष्य ने अपने हृदय की बात नहीं सुनी तो बुद्धिवाद की प्रचण्ड अग्नि उसे भस्मीभूत कर देगी। कवि की यह धारणा उन युवाओं और तथाकथित बुद्धिजीवियों के लिए भी, जिन्होंने सिर्फ स्वयं की उन्नति को ही अपने जीवन का हेतु मान लिया था। मनुष्यता के पतन को रेखांकित करते हुए उन्होंने लिखा-
आ पहुँचा है जिस और मनुष्य, उस ठौर आज है सर्वनाश।
यदि वह अपने हिय को मथकर, कर ले न आज अपना विकास ॥
निष्कर्ष - वस्तुतः बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' एक सिद्धान्तवादी - राष्ट्रवादी रचनाकार थे। आदर्शवाद उनके संस्कारों में था। राष्ट्र प्रेम, राष्ट्रभाषा और राष्ट्रीय संस्कृति प्रेम उनके जीवन में सबसे बड़ा मूल्य था। उन्हें जीवन में जनता का प्यार मिला। 'पदमभूषण' सम्मान भी मृत्युशय्या पर पड़े महारथी के सम्मान की औपचारिकता मात्र थी। फिर भी जन-जन के कंठहार बनकर 'नवीन' जी की वाणी वर्तमान सन्दर्भों में भी चेतना की संवाहक बनी हुई है।
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- अध्याय - 1 चंदबरदाई : पृथ्वीराज रासो के रेवा तट समय के अंश
- प्रश्न- रासो की प्रमाणिकता पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो महाकाव्य की भाषा पर अपना मत स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो को जातीय चेतना का महाकाव्य कहना कहाँ तक उचित है। तर्क संगत उत्तर दीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो के सत्ताइसवें सर्ग 'रेवा तट समय' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- रासो शब्द की व्युत्पत्ति के सम्बन्ध में प्राप्त मतों का संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो' में अभिव्यक्त इतिहास पक्ष की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- विद्यापति भोग के कवि हैं? क्यों?
- अध्याय - 2 जगनिक : आल्हा खण्ड
- प्रश्न- जगनिक के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- जगनिक कृत 'आल्हाखण्ड' का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- आल्हा की विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कवि जगनिक द्वारा आल्हा ऊदल की कथा सृजन का उद्देश्य वर्णित कीजिए। उत्तर -
- प्रश्न- 'आल्हा' की कथा का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- कवि जगनिक का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- अध्याय - 3 गुरु गोविन्द सिंह
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह की रचनाओं पर अपने विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह' की भाषा पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सिख धर्म में दशम ग्रन्थ का क्या महत्व है?
- प्रश्न- गुरु गोविन्द सिंह के पश्चात् सिख धर्म में किस परम्परा का प्रचलन हुआ?
- अध्याय - 4 भूषण
- प्रश्न- महाकवि भूषण का संक्षिप्त जीवन और साहित्यिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- भूषण ने किन काव्यों की रचना की?
- प्रश्न- भूषण की वीर भावना का स्वरूप क्या है?
- प्रश्न- वीर भावना कितने प्रकार की होती है?
- प्रश्न- भूषण की युद्ध वीर भावना की उदाहरण सहित विवेचना कीजिए।
- अध्याय - 5 भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की शैलीगत विशेषताओं को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के काव्य की भाव-पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की भाषागत विशेषताओं का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- भारतेन्दु जी के काव्य की कला पक्षीय विशेषताओं का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- भीतर भीतर सब रस चूस पद की व्याख्या कीजिए।
- अध्याय - 6 अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध'
- प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' का जीवन परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' के काव्य की भाव एवं कला की भाव एवं कलापक्षीय विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध' द्विवेदी युग के प्रतिनिधि कवि हैं।
- प्रश्न- हरिऔध जी का रचना संसार एवं रचना शिल्प पर संक्षेप में प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- प्रिय प्रवास की छन्द योजना पर विचार कीजिए।
- प्रश्न- 'जन्मभूमि' कविता में कवि हरिऔध जी का देश की भूमि के प्रति क्या भावना लक्षित होती है?
- अध्याय - 7 मैथिलीशरण गुप्त
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'गुप्त जी राष्ट्रीय कवि की अपेक्षा जातीय कवि अधिक हैं। उपर्युक्त कथन की युक्तिपूर्ण विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- गुप्त जी के काव्य के कला-पक्ष की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त की कविता मातृभूमि का भाव व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त किस कवि के रूप में विख्यात हैं? उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता में मैथिलीशरण गुप्त ने क्या पिरोया है?
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त के प्रथम काव्य संग्रह का क्या नाम है? साकेत की कथावस्तु का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- मैथिलीशरण गुप्त ने आर्य शीर्षक कविता में क्या उल्लेख किया है?
- अध्याय - 8 जयशंकर प्रसाद
- प्रश्न- सिद्ध कीजिए "प्रसाद का प्रकृति-चित्रण बड़ा सजीव एवं अनूठा है।'
- प्रश्न- महाकवि जयशंकर प्रसाद के काव्य में राष्ट्रीय चेतना का निरूपण कीजिए।
- प्रश्न- 'प्रसाद' के कलापक्ष का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'अरुण यह मधुमय देश हमारा' कविता का सारांश / सार/ कथ्य अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- प्रसाद जी द्वारा रचित राष्ट्रीय काव्यधारा से ओत-प्रोत 'प्रयाण गीत' का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- जयशंकर प्रसाद जी का हिन्दी साहित्य में स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- प्रसाद जी के काव्य में नवजागरण की मुख्य भूमिका रही है। तथ्यपूर्ण उत्तर दीजिए।
- अध्याय - 9 सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला'
- प्रश्न- 'सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला' एक क्रान्तिकारी कवि थे।' इस दृष्टि से उनकी काव्यगत प्रवृत्तियों की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'निराला ओज और सौन्दर्य के कवि हैं। इस कथन की विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य-भाषा पर एक निबन्ध लिखिए। यथोचित उदाहरण भी दीजिए।
- प्रश्न- निराला के जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य में अभिव्यक्त वैयक्तिकता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निराला के काव्य में प्रकृति का किन-किन रूपों में चित्रण हुआ है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निराला के साहित्यिक जीवन का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- निराला की सांस्कृतिक चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निराला की विद्रोहधर्मिता पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- महाकवि निराला जी की 'भारती जय-विजय करे' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 10 माखनलाल चतुर्वेदी
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "कवि माखनलाल चतुर्वेदी जी के काव्य में राष्ट्रीय चेतना लक्षित होती है।" इस कथन की सोदाहरण पुष्टि कीजिए।
- प्रश्न- 'माखनलाल जी' की साहित्यिक साधना पर प्रकाश डालिए?
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी ने साहित्य रचना का महत्व किस प्रकार प्रकट किया?
- प्रश्न- साहित्य पत्रकारिता में माखन लाल चतुर्वेदी का क्या स्थान है
- प्रश्न- 'पुष्प की अभिलाषा' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- माखनलाल चतुर्वेदी द्वारा रचित 'जवानी' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 11 सुभद्रा कुमारी चौहान
- प्रश्न- कवयित्री सुभद्रा कुमारी चौहान के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- सुभद्रा कुमारी चौहान किस कविता के माध्यम से क्रान्ति का स्मरण दिलाती हैं?
- प्रश्न- 'वीरों का कैसा हो वसंत' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- 'झाँसी की रानी' गीत का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 12 बालकृष्ण शर्मा नवीन
- प्रश्न- पं. बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' जी की राष्ट्रीय चेतना / भावना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- 'विप्लव गायन' गीत का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- नवीन जी के 'हिन्दुस्तान हमारा है' गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कवि बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' स्वाधीनता के पुजारी हैं। इस कथन को सोदाहरण स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 13 रामधारी सिंह 'दिनकर'
- प्रश्न- दिनकर जी राष्ट्रीय चेतना और जनजागरण के कवि हैं। विवेचना कीजिए।
- प्रश्न- "दिनकर" के काव्य के भाव पक्ष को निरूपित कीजिए।
- प्रश्न- 'दिनकर' के काव्य के कला पक्ष का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- रामधारी सिंह दिनकर का संक्षिप्त जीवन-परिचय दीजिए।
- प्रश्न- दिनकर जी द्वारा विदेशों में किए गए भ्रमण पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- दिनकर जी की काव्यधारा का क्रमिक विकास बताइए।
- प्रश्न- शहीद स्तवन (कलम आज उनकी जयबोल) का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- दिनकर जी की 'हिमालय' कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 14 श्यामलाल गुप्त 'पार्षद'
- प्रश्न- कवि श्यामलाल गुप्त का जीवन परिचय एवं राष्ट्र चेतना पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- झण्डा गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- पार्षद जी ने स्वाधीनता आन्दोलन में शामिल होने के कारण क्या-क्या कष्ट सहन किये।
- प्रश्न- श्यामलाल गुप्त पार्षद के हिन्दी साहित्य में योगदान के लिए क्या सम्मान मिला?
- अध्याय - 15 श्यामनारायण पाण्डेय
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डे के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय ने राष्ट्रीय चेतना का संचार किस प्रकार किया?
- प्रश्न- श्यामनारायण पाण्डेय द्वारा रचित 'चेतक की वीरता' कविता का सार लिखिए।
- प्रश्न- 'राणा की तलवार' कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- अध्याय - 16 द्वारिकाप्रसाद माहेश्वरी
- प्रश्न- प्रसिद्ध बाल कवि द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी का जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'उठो धरा के अमर सपूतों' का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- वीर तुम बढ़े चलो गीत का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 17 गोपालप्रसाद व्यास
- प्रश्न- कवि गोपालप्रसाद 'व्यास' का एक राष्ट्रीय कवि के रूप में परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि गोपाल प्रसाद व्यास किस भाषा के मर्मज्ञ माने जाते थे?
- प्रश्न- गोपाल प्रसाद व्यास द्वारा रचित खूनी हस्ताक्षर कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- "शहीदों में तू अपना नाम लिखा ले रे" कविता का सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- अध्याय - 18 सोहनलाल द्विवेदी
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी का जीवन और साहित्य क्या था? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी के काव्य में समाहित राष्ट्रीय चेतना का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- 'मातृभूमि' कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- 'तुम्हें नमन' कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने महात्मा गाँधी को अपने काव्य में क्या स्थान दिया है?
- प्रश्न- सोहनलाल द्विवेदी जी की रचनाएँ राष्ट्रीय जागरण का पर्याय हैं। स्पष्ट कीजिए।
- अध्याय - 19 अटल बिहारी वाजपेयी
- प्रश्न- कवि अटल बिहारी वाजपेयी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- अटल बिहारी वाजपेयी के कवि रूप पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- अटल जी का काव्य जन सापेक्ष है। सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- अटल जी की रचनाओं में भारतीयता का स्वर मुखरित हुआ है। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कदम मिलाकर चलना होगा कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- उनकी याद करें कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 20 डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'
- प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक' के जीवन और साहित्य पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- निशंक जी के साहित्य के विषय में अन्य विद्वानों के मतों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- डॉ. रमेश पोखरियाल 'निशंक'के साहित्यिक जीवन पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- हम भारतवासी कविता का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- मातृवन्दना कविता का सारांश लिखिए।
- अध्याय - 21 कवि प्रदीप
- प्रश्न- कवि प्रदीप के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- कवि प्रदीप की साहित्यिक अभिरुचि का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- कवि प्रदीप किस विचारधारा के पक्षधर थे?
- प्रश्न- 'ऐ मेरे वतन के लोगों' गीत का आधार क्या था?
- प्रश्न- गीतकार और गायक के रूप में कवि प्रदीप की लोकप्रियता कब हुई?
- प्रश्न- स्वतन्त्रता आन्दोलन में कवि प्रदीप की क्या भूमिका रही?
- अध्याय - 22 साहिर लुधियानवी
- प्रश्न- साहिर लुधियानवी का साहित्यिक परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'यह देश है वीर जवानों का' गीत का सारांश लिखिए।
- प्रश्न- साहिर लुधियानवी के गीतों में किन सामाजिक समस्याओं को उठाया गया है?
- अध्याय - 23 प्रेम धवन
- प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- गीतकार प्रेम धवन के गीत देशभक्ति से ओतप्रोत हैं। स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'छोड़ों कल की बातें' गीत किस फिल्म से लिया गया है? कवि ने इसमें क्या कहना चाहा है?
- प्रश्न- 'ऐ मेरे प्यारे वतन' गीत किस पृष्ठभूमि पर आधारित है?
- अध्याय - 24 कैफ़ी आज़मी
- प्रश्न- गीतकार कैफी आज़मी के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "सर हिमालय का हमने न झुकने दिया।" इस पंक्ति का क्या भाव है?
- प्रश्न- "कर चले हम फिदा जानोतन साथियों" गीत का प्रतिपाद्य / सारांश अपने शब्दों में लिखिए।
- प्रश्न- सैनिक अपनी मातृभूमि के प्रति क्या भाव रखता है?
- अध्याय - 25 राजेन्द्र कृष्ण
- प्रश्न- गीतकार राजेन्द्र कृष्ण के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'जहाँ डाल-डाल पर सोने की चिड़िया करती हैं बसेरा' गीत का मूल भाव क्या है?
- अध्याय - 26 गुलशन बावरा
- प्रश्न- गीतकार गुलशन बावरा के जीवन और साहित्य का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- 'मेरे देश की धरती सोना उगले गीत का प्रतिपाद्य लिखिए। '
- अध्याय - 27 इन्दीवर
- प्रश्न- गीतकार इन्दीवर के जीवन और फिल्मी कैरियर का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- 'है प्रीत जहाँ की रीत सदा' गीत का मुख्य भाव क्या है?
- प्रश्न- गीतकार इन्दीवर ने किन प्रमुख फिल्मों में गीत लिखे?
- अध्याय - 28 प्रसून जोशी
- प्रश्न- गीतकार प्रसून जोशी के जीवन और साहित्य का चित्रण कीजिए।
- प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में गीतकार प्रसून जोशी ने क्या चित्रण किया है?
- प्रश्न- 'देश रंगीला रंगीला' गीत में कवि ने इश्क का रंग कैसा बताया है?